वृष संक्रांति 2025: सूर्य के वृष राशि में प्रवेश का पावन पर्व
हर साल सूर्य जब मेष राशि से वृष राशि में प्रवेश करता है, तो यह घटना वृष संक्रांति कहलाती है। इस बार यह संक्रांति 15 मई 2025, गुरुवार
सूर्य पूजा और दिन की शुरुआत कैसे करें?
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
- तांबे के लोटे में जल, कुमकुम, चावल और पुष्प डालें।
- उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें और “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
वृष संक्रांति का महत्व
इस दिन किए गए पुण्य कर्म जैसे स्नान, दान, व्रत और सूर्य उपासना का विशेष फल मिलता है। माना जाता है कि इस दिन तीर्थ स्नान और पितृ तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है और पापों से मुक्ति मिलती है।
क्या होता है संक्रांति?
संक्रांति का अर्थ है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना। साल भर में कुल 12 संक्रांतियां होती हैं। वृष संक्रांति के साथ ही ग्रीष्म ऋतु अपने चरम पर पहुंचती है और नवतपा की शुरुआत होती है।
वृष संक्रांति पर क्या दान करें?
इस दिन जल और अन्न का दान अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। इसके अलावा आप निम्न वस्तुएं भी दान कर सकते हैं:
- छाता, चप्पल, पंखा
- शीतल पेय, जलपात्र
- गाय को हरा चारा
- जरूरतमंदों को भोजन या दक्षिणा
इस दिन के अन्य शुभ कार्य
- पितरों की शांति के लिए तर्पण करें।
- घर में हवन या पूजा का आयोजन करें।
- सात्विक व्रत रखें और संयमित आहार लें।
- सूर्य, विष्णु या शिव मंत्र का जाप करें।
निष्कर्ष:
वृष संक्रांति हमें सूर्य उपासना, प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और सेवा भावना का संदेश देती है। इस दिन किए गए छोटे-छोटे पुण्य कर्म भी बड़े फल देने वाले होते हैं।