Pradosh Vrat 2025: इस दिन बन रहा है दुर्लभ योग, ऐसे करें शिव-शक्ति की पूजा!
गुरु प्रदोष व्रत 2025: जानें शुभ योग, पूजा विधि और व्रत के अनमोल फायदे!
Guru Pradosh Vrat 2025: सनातन धर्म में चैत्र माह का विशेष महत्व होता है। यह माह मां दुर्गा को समर्पित माना जाता है, और इस दौरान भक्त विशेष रूप से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। चैत्र नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है और उपवास रखा जाता है। यह व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में मौजूद कष्टों का नाश होता है। आइए जानते हैं चैत्र माह के पहले प्रदोष व्रत की पूरी जानकारी।प्रदोष व्रत 2025 शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 27 मार्च को रात 1:42 बजे होगा, और यह तिथि 27 मार्च की रात 11:03 बजे समाप्त होगी। त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इस वर्ष, चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत 27 मार्च को रखा जाएगा। इस दिन प्रदोष काल शाम 6:36 बजे से रात 8:56 बजे तक रहेगा। भक्त अपनी सुविधा के अनुसार इस अवधि में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर सकते हैं।
शुभ योग और नक्षत्र (Pradosh Vrat 2025 Shubh Yog)
ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाए तो इस दिन साध्य और शुभ योग का संयोग बन रहा है, साथ ही शतभिषा नक्षत्र भी रहेगा। इन शुभ योगों में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। शिव-शक्ति की आराधना से सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
चैत्र प्रदोष व्रत 2025 (Chaitra Pradosh Vrat 2025)
प्रदोष व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है, साथ ही जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर यह व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत का नाम उस दिन के आधार पर रखा जाता है जिस दिन यह पड़ता है। चूंकि इस बार यह व्रत गुरुवार को आ रहा है, इसलिए इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
चैत्र प्रदोष व्रत 2025 तिथि और मुहूर्त
- तिथि का आरंभ: 27 मार्च 2025, रात 1:43 बजे
- तिथि का समापन: 27 मार्च 2025, रात 11:03 बजे
- प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 6:51 बजे से रात 9:12 बजे तक
प्रदोष व्रत के दौरान पालन करने योग्य नियम
- भगवान शिव को बेलपत्र, जल, फूल, भांग, धतूरा और धूप-दीप अर्पित करें।
- प्रदोष व्रत की कथा अवश्य पढ़ें और सुनें।
- पूजा के बाद शिव चालीसा का पाठ करें और शिव मंत्रों का जाप करें।
- भगवान शिव की आरती अवश्य करें।
- घर और मंदिर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- काले रंग के वस्त्र पहनने से बचें।
- इस दिन किसी का अपमान न करें और न ही अपशब्द कहें।
गुरु प्रदोष व्रत 2025 का पालन करने से व्यक्ति को भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से जीवन में शांति, सफलता और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।