आश्विन मास 2025: महत्व, पितृ पक्ष, नवरात्रि, दशहरा और शरद पूर्णिमा | Ashwin Month Significance
आश्विन मास का परिचय
हिंदू पंचांग में आश्विन मास वर्ष का सातवां महीना माना जाता है। यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार सितंबर और अक्टूबर के बीच आता है। विक्रम संवत के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा समाप्त होने के बाद जो प्रतिपदा आती है, वही आश्विन मास का पहला दिन होता है। इस मास का नाम ‘अश्विनी’ नक्षत्र से जुड़ा है, जो 27 नक्षत्रों में से पहला है।
आश्विन मास का महत्व
आश्विन मास का धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। यह माह पितरों को स्मरण करने और देवी उपासना का प्रतीक है। मान्यता है कि इस समय किए गए व्रत, उपवास और दान का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है।
पितृ पक्ष और श्राद्ध कर्म
आश्विन मास का सबसे प्रमुख उत्सव पितृ पक्ष है। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। यह भाद्रपद पूर्णिमा के अगले दिन से शुरू होकर अमावस्या तक चलता है।
- इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है।
- धार्मिक मान्यता है कि इस पक्ष में पूर्वज किसी भी रूप में घर आ सकते हैं।
- किसी भी जीव का अपमान करना वर्जित है, बल्कि उन्हें भोजन कराना पुण्यकारी माना जाता है।
- ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष को दूर करने के लिए श्राद्ध कर्म को आवश्यक बताया गया है।
- इस अवधि में नया काम शुरू नहीं किया जाता है।
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शारदीय नवरात्रि और विजयादशमी
पितृ पक्ष की समाप्ति के बाद आश्विन मास में शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ होता है।
- नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा, व्रत और अनुष्ठान किए जाते हैं।
- शक्ति उपासना का यह पर्व पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
- नवरात्रि के समापन के बाद विजयादशमी (दशहरा) का पर्व मनाया जाता है, जो अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है।
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शरद पूर्णिमा (कोजागरी पूर्णिमा)
आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा कहा जाता है।
- इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है।
- मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है।
- चांदनी में रखी गई खीर का सेवन करने से आरोग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
आश्विन माह में नई फसलों की कटाई का समय आता है, जिससे किसान समुदाय में उत्साह रहता है।
- यह माह पूर्वजों की स्मृति, देवी शक्ति की भक्ति और सामाजिक एकता का प्रतीक है।
- पितृ पक्ष से कृतज्ञता का संदेश, नवरात्रि से शक्ति उपासना का महत्व और दशहरा से सकारात्मकता की प्रेरणा मिलती है।
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आश्विन मास 2025 कैलेंडर
आश्विन मास 2025 व्रत, त्यौहार, जयंती और उत्सव
10 सितम्बर 2025 बुधवार - विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी
14 सितम्बर 2025 मंगलवार - महालक्ष्मी व्रत सम्पूर्ण, जीवित्पुत्रिका व्रत
17 सितम्बर 2025 बुधवार - विश्वकर्मा पूजा, इंदिरा एकादशी
19 सितम्बर 2025 शुक्रवार- प्रदोष व्रत
21 सितम्बर 2025 रविवार - सर्वपित्रू अमावस्या, दर्श अमावस्या, अन्वाधान, आश्विन अमावस्या
22 सितम्बर 2025 सोमवार - नवरात्रि प्रारंभ, घटस्थापना, सूर्य ग्रहण *आंशिक, इष्टी
23 सितम्बर 2025 मंगलवार - चन्द्र दर्शन
26 सितम्बर 2025 शुक्रवार - उपांग ललिता व्रत
29 सितम्बर 2025 सोमवार - सरस्वती आवाहन
29 सितम्बर 2025 मंगलवार - सरस्वती पूजा, दुर्गा अष्टमी
1 अक्टूबर 2025 बुधवार - महानवमी
2 अक्टूबर 2025 बृहस्पतिवार - सरस्वती विसर्जन, दुर्गा विसर्जन, दशहरा
3 अक्टूबर 2025 शुक्रवार - पापांकुशा एकादशी
4 अक्टूबर 2025 शनिवार - प्रदोष व्रत
6 अक्टूबर 2025 सोमवार - कोजागर पूजा, शरद पूर्णिमा, अन्वाधान
7 अक्टूबर 2025 मंगलवार - आश्विन पूर्णिमा
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FAQs – आश्विन मास से जुड़े सामान्य प्रश्न
Q1. आश्विन मास कब से कब तक होता है?
आश्विन मास भाद्रपद पूर्णिमा के अगले दिन से शुरू होता है और आश्विन अमावस्या या शरद पूर्णिमा तक चलता है। यह आमतौर पर सितंबर-अक्टूबर के बीच आता है।
Q2. आश्विन मास में कौन-कौन से प्रमुख पर्व आते हैं?
आश्विन मास में पितृ पक्ष, शारदीय नवरात्रि, विजयादशमी (दशहरा) और शरद पूर्णिमा (कोजागरी पूर्णिमा) प्रमुख पर्व हैं।
Q3. पितृ पक्ष का महत्व क्या है?
पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करके पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है। मान्यता है कि इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पितृ दोष भी दूर होता है।
Q4. आश्विन मास में नवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
आश्विन शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्रि आती है। यह शक्ति उपासना का सबसे बड़ा पर्व है जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
Q5. शरद पूर्णिमा पर खीर क्यों बनाई जाती है?
शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी को अमृतमयी माना जाता है। इस रोशनी में रखी खीर का सेवन करने से आरोग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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आश्विन मास धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह माह हमें पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता, देवी उपासना और जीवन में सकारात्मकता अपनाने का संदेश देता है।