गुड़ी पड़वा 2025: जानें शुभ तिथि, महत्व और पूजा की सही विधि
गुड़ी पड़वा हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, जिसे विशेष रूप से महाराष्ट्र और कोंकण क्षेत्र में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है और इस दिन को भारत के अन्य राज्यों में भी अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में "युगादी" तथा कश्मीर में "नवरेह"। इस तिथि से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। साथ ही हिन्दू नववर्ष भी प्रारंभ होता है। आइए, गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025 Date) का शुभ मुहूर्त एवं तिथि जानते हैं।गुड़ी पड़वा 2025 कब है?
पंचांग के अनुसार, गुड़ी पड़वा 2025 इस बार 30 मार्च 2025 (रविवार) को मनाया जाएगा। इस दिन से विक्रम संवत 2082 की शुरुआत होगी।
गुड़ी पड़वा का महत्व
गुड़ी पड़वा को भारतीय संस्कृति में अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। इस शुभ अवसर पर सृष्टि के रचयिता ब्रह्म देव की पूजा की जाती है। इसके अलावा, यह दिन मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की विजय यात्रा की भी याद दिलाता है। इस दिन घरों के बाहर गुड़ी (ध्वज) फहराई जाती है, जो समृद्धि और विजय का प्रतीक मानी जाती है।
गुड़ी पड़वा शुभ योग
गुड़ी पड़वा के दिन इंद्र योग का निर्माण हो रहा है, जो शाम 5:54 बजे तक रहेगा। ऐसा माना जाता है कि इस योग में किए गए शुभ कार्यों से सफलता प्राप्त होती है और ब्रह्म देव का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही, इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जो शाम 4:35 बजे से शुरू होकर 31 मार्च की सुबह 6:12 बजे तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सर्वार्थ सिद्धि योग किसी भी शुभ कार्य के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। इसके अलावा, गुड़ी पड़वा के दिन पंचक का समय सुबह 6:13 बजे से शाम 4:35 बजे तक रहेगा। साथ ही, इस दिन बव, बालव और कौलव करण के योग भी बन रहे हैं, जो इसे और अधिक विशेष बनाते हैं।
गुड़ी पड़वा की पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
घर के मुख्य द्वार पर गुड़ी स्थापित करें, जिसे एक लंबी लकड़ी पर पीले या लाल रंग के वस्त्र से सजाया जाता है। इसके ऊपर आम के पत्ते, फूल और एक उलटा तांबे या चांदी का कलश लगाया जाता है।
मंगलकारी रंगोली बनाएं और घर को फूलों से सजाएं।
भगवान विष्णु, मां दुर्गा और भगवान ब्रह्मा की पूजा करें और विशेष मंत्रों का जाप करें।
मीठे व्यंजन, जैसे पूरन पोली और श्रीखंड का प्रसाद बनाएं और परिवार के साथ इसका आनंद लें।
दान-पुण्य करें, विशेष रूप से अन्न, वस्त्र और धन का दान जरूरतमंदों को करें।
गुड़ी पड़वा से जुड़ी पौराणिक कथाएं
इस दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी, इसलिए इसे सृष्टि का प्रथम दिन भी माना जाता है।
इसी दिन भगवान राम ने बालि का वध किया था, जिससे यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बन गया।
छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी विजय के प्रतीक के रूप में गुड़ी पड़वा का उत्सव मनाना शुरू किया था।
गुड़ी पड़वा पर बनने वाले विशेष पकवान
इस दिन घरों में विशेष रूप से पूरण पोली, श्रीखंड, बेसन लड्डू और मीठे चावल बनाए जाते हैं। साथ ही, नीम की पत्तियों का सेवन करने की परंपरा भी है, जिसे स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है।
गुड़ी पड़वा केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि नए साल की शुरुआत और समृद्धि का प्रतीक है। यह दिन हमें सकारात्मकता, विजय और नवीनीकरण का संदेश देता है। इस पर्व को हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाएं और ईश्वर से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
गुड़ी पड़वा 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं!