क्या आप भी खा लेते हैं शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद? जाने शिव पुराण में क्या लिखा है?
भगवान की पूजा में चढ़ाया गया प्रसाद व्यक्ति के लिए अमृत जैसा माना जाता है। मान्यता है कि प्रसाद को ग्रहण करने से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। लेकिन, आपने कभी सुना होगा कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद नहीं खाना चाहिए। इससे संबंधित सवाल आपके मन में भी उठते होंगे कि शिवलिंग का प्रसाद खाना चाहिए या नहीं, इसे शिवपुराण में विस्तार से बताया गया है। आइए जानते हैं शिवपुराण के अनुसार, शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद खा सकते हैं या नहीं।शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं?
शिव पुराण के 22वें अध्याय में बताया गया है कि शिव की महिमा अनंत है। शिवजी का प्रसाद देखकर पाप दूर हो जाता है। यदि शिवजी का प्रसाद ग्रहण किया जाए, तो व्यक्ति को कई गुना अधिक पुण्य मिलता है। शिव नैवेद्य का भक्षण करने से हजारों और अरबों यज्ञों से बढ़कर शिव सायुज्य प्राप्त होता है। जिस घर में शिवजी का प्रसाद बनता है और बांटा जाता है, वह घर पवित्र हो जाता है। शिवपुराण के अनुसार, जो व्यक्ति भगवान शिव का प्रसाद ग्रहण नहीं करता या इसमें विलंब करता है, उसे पाप लगता है। शिवपुराण में ऐसे व्यक्ति को सबसे बड़ा पापी माना गया है और उसे नरक में जाना पड़ता है।
शिवजी पर चढ़ा कौन सा प्रसाद ग्रहण करना चाहिए?
शिवपुराण के अनुसार, शिवलिंग पर चढ़ा हर एक प्रसाद व्यक्ति को नहीं ग्रहण करना चाहिए। पुराण में लिखा गया है कि जहां चाण्डालों का अधिकार है वहां मनुष्य को भक्षण नहीं करना चाहिए और जहां चाण्डालों का अधिकार नहीं है वहां का प्रसाद भक्तिपूर्वक ग्रहण करना चाहिए। यानी शिवलिंग के पास चढ़ा हुआ प्रसाद आप खा सकते हैं, लेकिन जो प्रसाद शिवलिंग के ऊपर चढ़ाया गया है, उसे नहीं खाना चाहिए। शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद चण्डेश्वर का होता है।
पौराणिक कथा
शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, भगवान शिव के मुख से चण्डेश्वर नामक गण प्रकट हुआ, जिसे भूत-प्रेतों का प्रधान माना जाता है। ऐसे में शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद चण्डेश्वर का माना जाता है। इसलिए शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद ग्रहण करना भूत-प्रेतों का भोजन ग्रहण करने के समान है। यही कारण है कि शिवलिंग पर चढ़ाया प्रसाद खाने की मनाही है।
ध्यान देने योग्य बातें
यदि आपने धातु या पारद के शिवलिंग पर भोग अर्पित किया है, तो उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं। इससे किसी प्रकार का दोष नहीं होता। वहीं, शिवजी की प्रतिमा पर चढ़ाए गए भोग को ग्रहण करना शुभ माना जाता है। शिवपुराण के अनुसार, इस प्रसाद से असंख्य पापों का नाश होता है।
धार्मिक ग्रंथों और विद्वानों के अनुसार, सभी शिवलिंग पर चढ़ा गया प्रसाद चंडेश्वर का भाग नहीं माना जाता है। साधारण पत्थर, चीनी मिट्टी और मिट्टी से बने शिवलिंग का प्रसाद नहीं खाना चाहिए। इस तरह के शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को खाने की बजाय नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए।
खा सकते हैं इस शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद
धार्मिक ग्रंथों और विद्वानों के अनुसार, तांबे, सोने, चांदी आदि धातुओं से बने शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद खाया जा सकता है। पारद शिवलिंग पर भी प्रसाद चढ़ाने के बाद खा सकते हैं और घर ले जा सकते हैं। इन धातुओं से बने शिवलिंग का प्रसाद खाने से किसी प्रकार का दोष नहीं होता है।
शिवलिंग के साथ शालग्राम होने पर भी दोष समाप्त हो जाता है। इसलिए शालग्राम के साथ शिवलिंग की पूजा करके शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद खाने से कोई नुकसान नहीं होता।
शिव की साकार मूर्ति को अर्पित किया गया प्रसाद ग्रहण करने से भी कोई हानि नहीं होती है, बल्कि शिव की कृपा प्राप्त होती है।
प्रसाद से जुड़े जरूरी नियम
शिवलिंग पर कुछ चीजें चढ़ाना वर्जित माना गया है, जिसमें तुलसी दल और हल्दी शामिल हैं। शिवलिंग के प्रसाद को पीतल या चांदी के बने पात्र में रखकर भोग लगाना चाहिए। इसे कभी भी जमीन पर नहीं चढ़ाना चाहिए। पूजा पूरी होने के बाद इस प्रसाद को भगवान के पास से उठा लेना चाहिए।