रंग पंचमी 2025: भारतीय संस्कृति में रंगों का अनोखा पर्व
होली के बाद मनाया जाने वाला रंग पंचमी पर्व भारतीय परंपरा में विशेष महत्व रखता है। यह उत्सव रंगों, उल्लास और भक्ति का प्रतीक है, जिसे खासतौर पर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार होली के ठीक पांच दिन बाद पड़ता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, रंग पंचमी का उत्सव द्वापर युग से चला आ रहा है। कहा जाता है कि इस दिन देवी-देवता धरती पर आते हैं और इस उत्सव का आनंद लेते हैं। भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी ने भी इस दिन होली खेली थी। देश के कई राज्यों में यह पर्व अनोखे अंदाज में मनाया जाता है। आइए जानते हैं रंग पंचमी 2025 की तिथि, इसकी परंपराएं और इसे मनाने के खास तरीके।रंग पंचमी 2025 की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि इस वर्ष 18 मार्च को रात 10:09 बजे शुरू होगी और 20 मार्च को रात 12:36 बजे समाप्त होगी। चूंकि हिंदू धर्म में उदया तिथि को महत्व दिया जाता है, इसलिए इस बार रंग पंचमी का पर्व 19 मार्च 2025 को मनाया जाएगा।
रंग पंचमी का धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी ने होली खेली थी और देवी-देवता भी रंगों के इस उत्सव में शामिल होने के लिए धरती पर आए थे। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करने से जीवन में खुशियां आती हैं और सुख-समृद्धि का वास होता है।
रंग पंचमी पर शुभ उपाय
- श्रीकृष्ण और राधारानी की पूजा: इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की विशेष पूजा करें और उन्हें लाल चंदन व गुलाल अर्पित करें। यह उपाय दांपत्य जीवन को सुखद और मधुर बनाता है।
- धन प्राप्ति के लिए उपाय: रंग पंचमी के दिन लाल या पीले कपड़े में हल्दी की गांठ और एक सिक्का बांधकर तिजोरी या पर्स में रखें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।
रंग पंचमी का यह अनोखा पर्व जीवन में खुशियां, प्रेम और समृद्धि लाने वाला माना जाता है। इसे पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाना चाहिए।