Som Pradosh Vrat Katha in Hindi

सोम प्रदोष व्रत कथा (Som Pradosh Vrat Katha)

प्रदोष व्रत, हिन्दू पंचांग के अनुसार एक महत्वपूर्ण व्रत है जो हर माह की त्रयोदशी तिथि के दिन किया जाता है। प्रदोष व्रत को "प्रदोष काल" में किया जाता है प्रदोष काल का अर्थ होता है शाम का समय, सूर्य अस्त होने से 45 मिनट पहले का समय और सूर्य अस्त होने के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल है। हर मास में प्रदोष व्रत दो बार आता है- एक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को।
प्रदोष

सोमवार को त्रयोदशी तिथि आने पर इसे सोम प्रदोष कहते हैं। सोम प्रदोष के दिन संध्या के समय विधिवत तरीके से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा अर्चना करने से विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। 

सोम प्रदोष व्रत का महत्व
सोम प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य हमेशा उत्तम रहता है। तनाव से मुक्ति मिलती है। बिगड़े हुए काम बन जाते हैं। घर और परिवार में सुख-शान्ति और धन-धान्य में वृद्धि होती है। सोम प्रदोष के दिन विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करने से कुंडली का चंद्र दोष दूर होता है शिव पुराण में कहा गया है कि सोम प्रदोष व्रत करने वाले को सुख, सम्मान, धन और संतान का आशीर्वाद मिलता है।

सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय की जाती है। ऐसे में संध्या समय शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें। घी, शहद दूध, दही और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें।

इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, कनेर के फूल, भांग, आदि अर्पित करें। शिव मंत्रों एवं शिव चालिसा का पाठ करना चाहिए। भजन आरती पश्चात भगवान को भोग लगाना चाहिए और प्रसाद को सभी लोगों में बांटना चाहिए। इस तरह से प्रदोष व्रत करने वाले मनुष्य को पुण्य मिलता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

सोम प्रदोष व्रत कथा (Som Pradosh Vrat Katha)

जो प्रदोष व्रत सोमवार के दिन पड़ता है वह प्रदोष सोम प्रदोष व्रत कहलाता है। सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है अतः इस दिन प्रदोष व्रत होने से उसकी महत्ता और भी अधिक बढ जाती है।

प्राचीन समय में एक ब्राह्मणी रहती थी, पति की मृत्यु के बाद ब्राह्मणी अपने पुत्र को लेकर भिक्षा लेने जाती और संध्या को लौटती थी। एक दिन जब वह भिक्षा लेकर लौट रही थी तो उसे नदी किनारे एक सुन्दर बालक दिखाई दिया जो विदर्भ देश का राजकुमार धर्मगुप्त था। शत्रुओं ने उसके पिता को मारकर उसका राज्य हड़प लिया था। उसकी माता की मृत्यु भी अकाल हुई थी।

ब्राह्मणी ने उस बालक को अपना लिया और उसका पालन-पोषण किया। जब वे दोनों बालक बड़े हो गए तो ब्राह्मणी दोनों बालक को लेकर ऋषि शांडिल्य के आश्रम चली गई। जहां ऋषि शांडिल्य ने अपने तपोबल से बालक के बारे में पता कर कहा-हे देवी! ये बालक विदर्भदेश के राजा का पुत्र है जो युद्ध में मारे गए थे और उनकी माता को ग्राह ने अपना भोजन बना लिया था।

ऋषि शांडिल्य ने ब्राह्मणी को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। ऋषि आज्ञा से दोनों बालकों ने भी प्रदोष व्रत करना शुरू किया। ब्राह्मणी और राजकुमारों ने विधि-विधान से प्रदोष व्रत किया। एक दिन दोनों बालक वन में घूम रहे थे तभी उन्हें कुछ गंधर्व कन्याएं नजर आई। ब्राह्मण बालक तो घर लौट आया किंतु राजकुमार धर्मगुप्त "अंशुमती" नाम की गंधर्व कन्या से बात करने लगे।

दोनों एक-दूसरे को चाहने लगे। कन्या ने विवाह हेतु राजकुमार को अपने पिता से मिलवाने के लिए बुलाया। दूसरे दिन जब वह पुन: गंधर्व कन्या से मिलने आया तो गंधर्व कन्या के पिता ने बताया कि वह विदर्भ देश का राजकुमार है। भगवान शिव की आज्ञा से गंधर्वराज ने अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार धर्मगुप्त से कराया।

इसके बाद राजकुमार धर्मगुप्त ने गंधर्व सेना की सहायता से विदर्भ देश पर पुनः आधिपत्य प्राप्त किया। गरीब ब्राह्मणी को भी एक खास स्थान दिया गया, जिससे उनके सारे दुख खत्म हो गए। यह सब ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के प्रदोष व्रत करने का फल था, जिससे उन्हें संपत्ति मिली और जीवन में खुशहाली आई। ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के महात्म्य से जैसे राजकुमार और ब्राह्मण-पुत्र के दिन फिरे, वैसे ही शंकर भगवान अपने दूसरे भक्तों के दिन भी फेरते हैं। अत: सोम प्रदोष का व्रत करने वाले सभी भक्तों को यह कथा अवश्य पढ़नी अथवा सुननी चाहिए।

स्कंदपुराण के अनुसार जो भक्त सोम प्रदोष व्रत के दिन शिवपूजा के बाद एक्राग होकर प्रदोष व्रत कथा सुनता या पढ़ता है उसे सौ जन्मों तक कभी दरिद्रता नहीं होती। घर और परिवार में सुख-शान्ति और धन-धान्य में वृद्धि होती है।

Featured Post

Jagannath Puri Rath Yatra 2025

Jagannath Puri Rath Yatra 2025 Rath Yatra Puri -  A must carry out Pilgrimage by a Hindu in lifetime  Ratha Yatra  is a huge Hindu festiva...